राही शहाबी
ग़ज़ल 11
अशआर 1
हम हैं मज़दूर हमें कौन सहारा देगा
हम तो मिट कर भी सहारा नहीं माँगा करते
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere