ओबैदुर रहमान
ग़ज़ल 26
अशआर 18
नज़र में दूर तलक रहगुज़र ज़रूरी है
किसी भी सम्त हो लेकिन सफ़र ज़रूरी है
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
तामीर-ओ-तरक़्क़ी वाले हैं कहिए भी तो उन को क्या कहिए
जो शीश-महल में बैठे हुए मज़दूर की बातें करते हैं
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
अपनी ही ज़ात के महबस में समाने से उठा
दर्द एहसास का सीने में दबाने से उठा
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
आँगन आँगन ख़ून के छींटे चेहरा चेहरा बे-चेहरा
किस किस घर का ज़िक्र करूँ में किस किस के सदमात लिखूँ
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
बच्चों को हम न एक खिलौना भी दे सके
ग़म और बढ़ गया है जो त्यौहार आए हैं
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए