नाज़िर सिद्दीक़ी
ग़ज़ल 9
अशआर 1
पसीना मेरी मेहनत का मिरे माथे पे रौशन था
चमक लाल-ओ-जवाहर की मिरी ठोकर पे रक्खी थी
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere