नज़र हैदराबादी के शेर
इसी ख़याल में हर शाम-ए-इंतिज़ार कटी
वो आ रहे हैं वो आए वो आए जाते हैं
-
टैग : इंतिज़ार
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
इस चश्म-ए-सियह-मस्त पे गेसू हैं परेशाँ
मय-ख़ाने पे घनघोर घटा खेल रही है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड