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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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मुर्तज़ा बरलास

1934

पाकिस्तान के मशहूर-ओ-मारूफ़ जदीद शायर

पाकिस्तान के मशहूर-ओ-मारूफ़ जदीद शायर

मुर्तज़ा बरलास के शेर

चेहरे की चाँदनी पे इतना भी मान कर

वक़्त-ए-सहर तू रंग कभी चाँद का भी देख

मुझे की गई है ये पेशकश कि सज़ा में होंगी रियायतें

जो क़ुसूर मैं ने किया नहीं वो क़ुबूल कर लूँ दबाव में

दुश्मन-ए-जाँ ही सही दोस्त समझता हूँ उसे

बद-दुआ जिस की मुझे बन के दुआ लगती है

माना कि तेरा मुझ से कोई वास्ता नहीं

मिलने के ब'अद मुझ से ज़रा आइना भी देख

नाम इस का आमरियत हो कि हो जम्हूरियत

मुंसलिक फ़िरऔनियत मसनद से तब थी अब भी है

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