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Munshi Amirullah Tasleem's Photo'

मुंशी अमीरुल्लाह तस्लीम

1819 - 1911 | लखनऊ, भारत

उत्तर-क्लासिकी शायर, अपने सर्वाधिक लोकप्रिय शेरों के लिए प्रसिद्ध

उत्तर-क्लासिकी शायर, अपने सर्वाधिक लोकप्रिय शेरों के लिए प्रसिद्ध

मुंशी अमीरुल्लाह तस्लीम

ग़ज़ल 16

अशआर 20

तड़पती देखता हूँ जब कोई शय

उठा लेता हूँ अपना दिल समझ कर

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दास्तान-ए-शौक़-ए-दिल ऐसी नहीं थी मुख़्तसर

जी लगा कर तुम अगर सुनते मैं कहता और भी

दिमाग़ दे जो ख़ुदा गुलशन-ए-मोहब्बत में

हर एक गुल से तिरे पैरहन की बू आए

नासेह ख़ता मुआफ़ सुनें क्या बहार में

हम इख़्तियार में हैं दिल इख़्तियार में

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वक़्त-ए-रवा-रवी है उठे क़ाफ़िला के लोग

साक़ी चले पियाला जहाँ तक कि बस चले

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पुस्तकें 16

चित्र शायरी 3

 

ऑडियो 11

इक आफ़त-ए-जाँ है जो मुदावा मिरे दिल का

गर यही है आदत-ए-तकरार हँसते बोलते

चारासाज़-ए-ज़ख़्म-ए-दिल वक़्त-ए-रफ़ू रोने लगा

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