संपूर्ण
परिचय
ग़ज़ल95
नज़्म59
शेर114
ई-पुस्तक27
टॉप 20 शायरी 20
चित्र शायरी 9
ऑडियो 43
वीडियो70
गेलरी 1
ब्लॉग2
दोहा1
शायरी के अनुवाद4
मुनीर नियाज़ी
ग़ज़ल 95
नज़्म 59
अशआर 114
कटी है जिस के ख़यालों में उम्र अपनी 'मुनीर'
मज़ा तो जब है कि उस शोख़ को पता ही न हो
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
किसी को अपने अमल का हिसाब क्या देते
सवाल सारे ग़लत थे जवाब क्या देते
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
रहना था उस के साथ बहुत देर तक मगर
इन रोज़ ओ शब में मुझ को ये फ़ुर्सत नहीं मिली
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
लाई है अब उड़ा के गए मौसमों की बास
बरखा की रुत का क़हर है और हम हैं दोस्तो
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
दोहा 1
शायरी के अनुवाद 4
पुस्तकें 27
चित्र शायरी 9
वीडियो 70
This video is playing from YouTube