मियाँ दाद ख़ां सय्याह
ग़ज़ल 8
अशआर 2
क़ैस जंगल में अकेला है मुझे जाने दो
ख़ूब गुज़रेगी जो मिल बैठेंगे दीवाने दो
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
तुर्रा-ए-काकुल-ए-पेचां रुख़-ए-नूरानी पर
चश्मा-ए-आईना में साँप सा लहराता है
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए