मिर्ज़ा मायल देहलवी
ग़ज़ल 14
अशआर 13
तुझ को देखा न तिरे नाज़-ओ-अदा को देखा
तेरी हर तर्ज़ में इक शान-ए-ख़ुदा को देखा
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
मुझे काफ़िर ही बताता है ये वाइज़ कम-बख़्त
मैं ने बंदों में कई बार ख़ुदा को देखा
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
तल्ख़ी तुम्हारे वाज़ में है वाइज़ो मगर
देखो तो किस मज़े की है तल्ख़ी शराब में
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
मानें जो मेरी बात मुरीदान-ए-बे-रिया
दें शैख़ को कफ़न तो डुबो कर शराब में
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
माइल को जानते भी हो हज़रत हैं एक रिंद
क्या ए'तिबार आप के रोज़े नमाज़ का
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए