लाला मौजी राम मौजी के शेर
दिल के आईने में है तस्वीर-ए-यार
जब ज़रा गर्दन झुकाई देख ली
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वाँ हिना-बंदी थी और ज़ुल्फ़ को सुलझाना था
याँ परेशानी थी और ख़ून-ए-जिगर खाना था
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