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ख़ालिद महमूद

1948 | दिल्ली, भारत

ख़ालिद महमूद

ग़ज़ल 19

नज़्म 1

 

अशआर 2

बच्चे मेरी उँगली थामे धीरे धीरे चलते थे

फिर वो आगे दौड़ गए मैं तन्हा पीछे छूट गया

शायद कि मर गया मिरे अंदर का आदमी

आँखें दिखा रहा है बराबर का आदमी

 

पुस्तकें 135

ऑडियो 8

आँखों में धूप दिल में हरारत लहू की थी

झपटते हैं झपटने के लिए परवाज़ करते हैं

नहीं है अगर उन में बारिश हवा

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