करम हैदराबादी
ग़ज़ल 1
अशआर 2
इश्क़ की दुनिया में क्या क्या हम को सौग़ातें मिलीं
सूनी सुब्हें रोती शामें जागती रातें मिलीं
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere