जिगर बरेलवी
ग़ज़ल 35
नज़्म 1
अशआर 16
क़दम मिला के ज़माने के साथ चल न सके
बहुत सँभल के चले हम मगर सँभल न सके
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इश्क़ को एक उम्र चाहिए और
उम्र का कोई ए'तिबार नहीं
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तुम नहीं पास कोई पास नहीं
अब मुझे ज़िंदगी की आस नहीं
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साँस लेने में दर्द होता है
अब हवा ज़िंदगी की रास नहीं
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नहीं इलाज-ए-ग़म-ए-हिज्र-ए-यार क्या कीजे
तड़प रहा है दिल-ए-बे-क़रार किया कीजे
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