जमील अज़ीमाबादी
ग़ज़ल 12
नज़्म 12
अशआर 2
जंगल जंगल आग लगी है दरिया दरिया पानी है
नगरी नगरी थाह नहीं है लोग बहुत घबराए हैं
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कुंज-ए-क़फ़स ही जिस का मुक़द्दर हुआ 'जमील'
उस की नज़र में दौर-ए-ख़िज़ाँ क्या बहार क्या
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