जाफ़र साहनी
ग़ज़ल 26
नज़्म 12
अशआर 1
ईद का दिन तो है मगर 'जाफ़र'
मैं अकेले तो हँस नहीं सकता
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere