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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Inam-ul-Haq Javed's Photo'

इनाम-उल-हक़ जावेद

1949 | पाकिस्तान

इनाम-उल-हक़ जावेद

ग़ज़ल 3

 

नज़्म 2

 

अशआर 11

सुख़न के सारे सलीक़े ज़बाँ में रखता है

नहीं का अक्स निहाँ अपनी हाँ में रक्खा है

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लेकिन कलाम कीजिए मुझ से अदब के साथ

नौकर हूँ कोई आप का शौहर नहीं हूँ मैं

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वो डिग्री की बजाए मेम ले कर लौट आया है

मिला था दाख़िला जिस को समुंदर-पार कॉलेज में

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मिरा मतलब महीने तक नहाने की हो फ़ुर्सत

तो फिर हफ़्ते के हफ़्ते हाथ मुँह धोना ज़रूरी है

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पैसे थे इलाज के गर तेरी जेब में

फिर ये बता हुआ है तू बीमार किस लिए

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हास्य 12

पुस्तकें 74

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