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हीरा लाल फ़लक देहलवी

दिल्ली, भारत

हीरा लाल फ़लक देहलवी

ग़ज़ल 20

अशआर 22

नज़रों में हुस्न दिल में तुम्हारा ख़याल है

इतने क़रीब हो कि तसव्वुर मुहाल है

मैं तिरा जल्वा तू मेरा दिल है मेरे हम-नशीं

मैं तिरी महफ़िल में हूँ और तू मिरी महफ़िल में है

मैं ने अंजाम से पहले पलट कर देखा

दूर तक साथ मिरे मंज़िल-ए-आग़ाज़ गई

मिरा ख़त पढ़ लिया उस ने मगर ये तो बता क़ासिद

नज़र आई जबीं पर बूँद भी कोई पसीने की

हाल बीमार का पूछो तो शिफ़ा मिलती है

या'नी इक कलमा-ए-पुर्सिश भी दवा होता है

पुस्तकें 2

 

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