हीरा लाल फ़लक देहलवी
ग़ज़ल 20
अशआर 22
नज़रों में हुस्न दिल में तुम्हारा ख़याल है
इतने क़रीब हो कि तसव्वुर मुहाल है
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
मैं तिरा जल्वा तू मेरा दिल है मेरे हम-नशीं
मैं तिरी महफ़िल में हूँ और तू मिरी महफ़िल में है
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
मैं ने अंजाम से पहले न पलट कर देखा
दूर तक साथ मिरे मंज़िल-ए-आग़ाज़ गई
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
मिरा ख़त पढ़ लिया उस ने मगर ये तो बता क़ासिद
नज़र आई जबीं पर बूँद भी कोई पसीने की
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
हाल बीमार का पूछो तो शिफ़ा मिलती है
या'नी इक कलमा-ए-पुर्सिश भी दवा होता है
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए