ग़ुलाम मुर्तज़ा कैफ़ काकोरी
अशआर 1
तड़प जाता हूँ जब बिजली चमकती देख लेता हूँ
कि इस से मिलता-जुलता सा किसी का मुस्कुराना है
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere