फ़ैज़ लुधियानवी
नज़्म 12
अशआर 3
तू नया है तो दिखा सुब्ह नई शाम नई
वर्ना इन आँखों ने देखे हैं नए साल कई
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
अक़्ल गुम है दिल परेशाँ है नज़र बेताब है
जुस्तुजू से भी नहीं मिलता सुराग़-ए-ज़ि़ंदगी
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
ग़रीबी किस बला का नाम है उन की बला जाने
ख़ुदा है जिन की दौलत जिन का शेवा ज़र-परस्ती है
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए