एजाज़ तवक्कल
ग़ज़ल 16
अशआर 3
क़ब्रों में नहीं हम को किताबों में उतारो
हम लोग मोहब्बत की कहानी में मरें हैं
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बहती हुई आँखों की रवानी में मरे हैं
कुछ ख़्वाब मिरे ऐन-जवानी में मरे हैं
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- ग़ज़ल देखिए
बना रहा हूँ मैं फ़ेहरिस्त छोटे लोगों की
मलाल ये कि बड़े नाम इस में आते हैं
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