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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Bushra Ejaz's Photo'

बुशरा एजाज़

बुशरा एजाज़

ग़ज़ल 4

 

नज़्म 7

अशआर 5

मिरी अपनी और उस की आरज़ू में फ़र्क़ ये था

मुझे बस वो उसे सारा ज़माना चाहिए था

मिरी अपनी और उस की आरज़ू में फ़र्क़ ये था

मुझे बस वो उसे सारा ज़माना चाहिए था

शब भी है वही हम भी वही तुम भी वही हो

है अब के मगर अपनी सज़ा और तरह की

शब भी है वही हम भी वही तुम भी वही हो

है अब के मगर अपनी सज़ा और तरह की

अपने सारे रास्ते अंदर की जानिब मोड़ कर

मंज़िलों का इक निशाँ बाहर बनाना चाहिए

ऑडियो 4

محبت میں کوئی صدمہ اٹھانا چاہئے تھا

मिरी रात मेरा चराग़ मेरी किताब दे

उन्हें ढूँडो

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