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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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बेदिल हैदरी

1924 - 2004 | लाहौर, पाकिस्तान

सामाजिक असंतुलन, ग़रीबी और असमानता जैसी समस्याओं को शायरी का विषय बनानेवाले शायर

सामाजिक असंतुलन, ग़रीबी और असमानता जैसी समस्याओं को शायरी का विषय बनानेवाले शायर

बेदिल हैदरी

ग़ज़ल 11

अशआर 12

हम तुम में कल दूरी भी हो सकती है

वज्ह कोई मजबूरी भी हो सकती है

भूक चेहरों पे लिए चाँद से प्यारे बच्चे

बेचते फिरते हैं गलियों में ग़ुबारे बच्चे

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गर्मी लगी तो ख़ुद से अलग हो के सो गए

सर्दी लगी तो ख़ुद को दोबारा पहन लिया

रात को रोज़ डूब जाता है

चाँद को तैरना सिखाना है

ख़ोल चेहरों पे चढ़ाने नहीं आते हम को

गाँव के लोग हैं हम शहर में कम आते हैं

पुस्तकें 1

 

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