आसिम क़मर
ग़ज़ल 13
अशआर 1
छलक रही है उदासी बदन के बर्तन से
ये भर गया है मुझे दूसरा दिया जाए
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere