अश्वनी मित्तल 'ऐश'
ग़ज़ल 4
अशआर 1
उबलते वक़्त पानी सोचता होगा ज़रूर
अगर बर्तन न होता तो बताता आग को
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere