Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Arshi Bhopali's Photo'

अर्शी भोपाली

1921 - 1977 | भोपाल, भारत

अर्शी भोपाली

ग़ज़ल 15

अशआर 6

निगाह-ए-नाज़ की मासूमियत अरे तौबा

जो हम फ़रेब खाते तो और क्या करते

बहुत अज़ीज़ क्यूँ हो कि दर्द है तेरा

ये दर्द बढ़ के रहा इज़्तिराब हो के रहा

हमें तो अपनी तबाही की दाद भी मिली

तिरी नवाज़िश-ए-बेजा का क्या गिला करते

हम तो आवारा-ए-सहरा हैं हमें क्या मतलब

उन की महफ़िल में जुनूँ की कोई तौक़ीर सही

मौक़ूफ़ फ़स्ल-ए-गुल पे नहीं रौनक़-ए-चमन

नज़रें जवान हों तो ख़िज़ाँ भी बहार है

  • शेयर कीजिए

पुस्तकें 1

 

"भोपाल" के और शायर

Recitation

Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here

बोलिए