अम्मार यासिर मिगसी
ग़ज़ल 10
अशआर 3
उस को हँसता देख के फूल थे हैरत में
वो हँसती थी फूलों की हैरानी पर
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मुझ को मरने न दिया शे'र उतारे मुझ पर
इश्क़ ने बस ये मिरे साथ रिआ'यत की थी
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इधर वो बिछड़ा उधर इक सितारा टूटा फिर
मैं आसमान को देखूँ और आसमान मुझे
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