संपूर्ण
परिचय
ग़ज़ल28
नज़्म12
शेर48
हास्य शायरी1
ई-पुस्तक286
चित्र शायरी 4
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वीडियो13
रुबाई18
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नअत1
मसनवी1
अल्ताफ़ हुसैन हाली
ग़ज़ल 28
नज़्म 12
अशआर 48
फ़रिश्ते से बढ़ कर है इंसान बनना
मगर इस में लगती है मेहनत ज़ियादा
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माँ बाप और उस्ताद सब हैं ख़ुदा की रहमत
है रोक-टोक उन की हक़ में तुम्हारे ने'मत
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होती नहीं क़ुबूल दुआ तर्क-ए-इश्क़ की
दिल चाहता न हो तो ज़बाँ में असर कहाँ
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- ग़ज़ल देखिए
हम जिस पे मर रहे हैं वो है बात ही कुछ और
आलम में तुझ से लाख सही तू मगर कहाँ
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- ग़ज़ल देखिए
सदा एक ही रुख़ नहीं नाव चलती
चलो तुम उधर को हवा हो जिधर की
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