अक्स समस्तीपुरी
ग़ज़ल 22
नज़्म 2
अशआर 9
यार मैं इतना भूका हूँ
धोका भी खा लेता हूँ
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एक रिश्ता जिसे मैं दे न सका कोई नाम
एक रिश्ता जिसे ता-उम्र निभाए रक्खा
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कैसे तुम भूल गए हो मुझे आसानी से
इश्क़ में कुछ भी तो आसान नहीं होता है
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उस ने यूँ रास्ता दिया मुझ को
रास्ते से हटा दिया मुझ को
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बस इसी उम्मीद पे होता गया बर्बाद मैं
गर कभी बिखरा तो आ कर तू सँभालेगा मुझे
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