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अख़्तर अंसारी अकबराबादी

1920 - 1958

शायर और साहित्यिक पत्रकार, ‘नशेमन’, ‘मशरिक़’ और ‘नई क़द्रें’ जैसी साहित्यिक पत्रिकाओं का सम्पादन किया. पद्य गद्य में कई कई किताबें प्रकाशित हुईं

शायर और साहित्यिक पत्रकार, ‘नशेमन’, ‘मशरिक़’ और ‘नई क़द्रें’ जैसी साहित्यिक पत्रिकाओं का सम्पादन किया. पद्य गद्य में कई कई किताबें प्रकाशित हुईं

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

ग़ज़ल 26

अशआर 22

चुप रहो तो पूछता है ख़ैर है

लो ख़मोशी भी शिकायत हो गई

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कुछ अँधेरे हैं अभी राह में हाइल 'अख़्तर'

अपनी मंज़िल पे नज़र आएगा इंसाँ इक रोज़

ज़ुल्म सहते रहे शुक्र करते रहे आई लब तक ये दास्ताँ आज तक

मुझ को हैरत रही अंजुमन में तिरी क्यूँ हैं ख़ामोश अहल-ए-ज़बाँ आज तक

क्या करिश्मा है मिरे जज़्बा-ए-आज़ादी का

थी जो दीवार कभी अब है वो दर की सूरत

दुश्मनी को बुरा कह दोस्त

देख क्या दोस्ती है ग़ौर से देख

क़ितआ 1

 

पुस्तकें 57

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