अजमल सिराज
ग़ज़ल 25
अशआर 23
बस एक शाम का हर शाम इंतिज़ार रहा
मगर वो शाम किसी शाम भी नहीं आई
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उस ने पूछा था क्या हाल है
और मैं सोचता रह गया
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ये उदासी का सबब पूछने वाले 'अजमल'
क्या करेंगे जो उदासी का सबब बतलाया
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मैं ने ऐ दिल तुझे सीने से लगाया हुआ है
और तू है कि मिरी जान को आया हुआ है
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बताओ तुम से कहाँ राब्ता किया जाए
कभी जो तुम से ज़रूरत हो बात करने की
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वीडियो 9
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