अहमद हुसैन माइल
ग़ज़ल 19
अशआर 37
मुझ से बिगड़ गए तो रक़ीबों की बन गई
ग़ैरों में बट रहा है मिरा ए'तिबार आज
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दूर से यूँ दिया मुझे बोसा
होंट की होंट को ख़बर न हुई
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प्यार अपने पे जो आता है तो क्या करते हैं
आईना देख के मुँह चूम लिया करते हैं
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- ग़ज़ल देखिए
अगरचे वो बे-पर्दा आए हुए हैं
छुपाने की चीज़ें छुपाए हुए हैं
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जितने अच्छे हैं मैं हूँ उन में बुरा
हैं बुरे जितने उन में अच्छा हूँ
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