Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Abul Hasanat Haqqi's Photo'

अबुल हसनात हक़्क़ी

कानपुर, भारत

अबुल हसनात हक़्क़ी

ग़ज़ल 22

अशआर 30

वो मेहरबान नहीं है तो फिर ख़फ़ा होगा

कोई तो राब्ता उस को बहाल रखना है

ये सच है उस से बिछड़ कर मुझे ज़माना हुआ

मगर वो लौटना चाहे तो फिर ज़माना भी क्या

बे-नियाज़-ए-दहर कर देता है इश्क़

बे-ज़रों को लाल-ओ-ज़र देता है इश्क़

  • शेयर कीजिए

मैं अपनी माँ के वसीले से ज़िंदा-तर ठहरूँ

कि वो लहू मिरे सब्र-ओ-रज़ा में रौशन है

मैं क़त्ल हो के भी शर्मिंदा अपने-आप से हूँ

कि इस के बाद तो सारा ज़वाल है उस का

पुस्तकें 1

 

वीडियो 9

This video is playing from YouTube

वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

अबुल हसनात हक़्क़ी

अबुल हसनात हक़्क़ी

अबुल हसनात हक़्क़ी

अबुल हसनात हक़्क़ी

तमाम हिज्र उसी का विसाल है उस का

अबुल हसनात हक़्क़ी

दिल को हम दरिया कहें मंज़र-निगारी और क्या

अबुल हसनात हक़्क़ी

बे-नियाज़ दहर कर देता है इश्क़

अबुल हसनात हक़्क़ी

शब को हर रंग में सैलाब तुम्हारा देखें

अबुल हसनात हक़्क़ी

शिकस्त-ए-अहद पर इस के सिवा बहाना भी क्या

अबुल हसनात हक़्क़ी

ऑडियो 3

तमाम हिज्र उसी का विसाल है उस का

बे-नियाज़ दहर कर देता है इश्क़

शिकस्त-ए-अहद पर इस के सिवा बहाना भी क्या

Recitation

 

संबंधित शायर

"कानपुर" के और शायर

Recitation

Rekhta Gujarati Utsav I Vadodara - 5th Jan 25 I Mumbai - 11th Jan 25 I Bhavnagar - 19th Jan 25

Register for free
बोलिए