अभिषेक कुमार अम्बर
ग़ज़ल 8
नज़्म 5
अशआर 11
उसे मैं क्यूँ मोहब्बत से न देखूँ
वो मेरा पहला पहला प्यार ठहरा
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वो अब भी दिल दुखा देता है मेरा
वो मेरा दोस्त है दुश्मन नहीं है
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क्या भरोसा ज़िंदगी का हम करें
आज हम में जान है कल हो न हो
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तुम्हारे साथ रहने के लिए भी
हमें कोई बहाना चाहिए अब
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उस ने पूछा है क्या मोहब्बत है
अब भला क्या जवाब दूँ उस को
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