अब्दुल अज़ीज़ अम्बर
अशआर 1
ये कह के उस ने गुल किया शम-ए-मज़ार को
जब सो गए तो क्या है ज़रूरत चराग़ की
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere