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ये महलों ये तख़्तों ये ताजों की दुनिया

साहिर लुधियानवी

ये महलों ये तख़्तों ये ताजों की दुनिया

साहिर लुधियानवी

MORE BYसाहिर लुधियानवी

    ये महलों ये तख़्तों ये ताजों की दुनिया

    ये इंसाँ के दुश्मन समाजों की दुनिया

    ये दौलत के भूके रिवाजों की दुनिया

    ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है

    हर इक जिस्म घायल हर इक रूह प्यासी

    निगाहों में उलझन दिलों में उदासी

    ये दुनिया है या आलम-ए-बद-हवासी

    ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है

    यहाँ इक खिलौना है इंसाँ की हस्ती

    ये बस्ती है मुर्दा-परस्तों की बस्ती

    यहाँ पर तो जीवन से है मौत सस्ती

    ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है

    जवानी भटकती है बद-कार बन कर

    जवाँ जिस्म सजते हैं बाज़ार बन कर

    यहाँ प्यार होता है बेवपार बन कर

    ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है

    ये दुनिया जहाँ आदमी कुछ नहीं है

    वफ़ा कुछ नहीं दोस्ती कुछ नहीं है

    जहाँ प्यार की क़द्र ही कुछ नहीं है

    ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है

    जला दो इसे फूँक डालो ये दुनिया

    मिरे सामने से हटा लो ये दुनिया

    तुम्हारी है तुम ही सँभालो ये दुनिया

    ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है

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    मोहम्मद रफ़ी

    मोहम्मद रफ़ी

    स्रोत :
    • पुस्तक : Kulliyat-e-Sahir Ludhianvi (पृष्ठ 450)
    • रचनाकार : SAHIR LUDHIANVI
    • प्रकाशन : Farid Book Depot (Pvt.) Ltd

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