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तुम अपनी फ़िक्र को बे-शक उड़ान में रखना

महबूब ज़फ़र

तुम अपनी फ़िक्र को बे-शक उड़ान में रखना

महबूब ज़फ़र

MORE BYमहबूब ज़फ़र

    तुम अपनी फ़िक्र को बे-शक उड़ान में रखना

    ज़मीन-बोस इमारत भी ध्यान में रखना

    निगाह पड़ने पाए यतीम बच्चों की

    ज़रा छुपा के खिलौने दुकान में रखना

    हमें तो अहल-ए-सियासत ने ये बताया है

    किसी का तीर किसी की कमान में रखना

    हवाएँ तेज़ बहुत हैं ये चाहतों के दिए

    ज़रा सँभाल के अपने मकान में रखना

    जदीद अहद के मक़रूज़ हैं मिरे बच्चे

    मिरे ख़ुदा उन्हें अपनी अमान में रखना

    तुम्हारा रंग-ए-सुख़न कोई भी रहे 'महबूब'

    ग़ज़ल का ज़ाइक़ा अपनी ज़बान में रखना

    स्रोत :
    • पुस्तक : Pakistani Adab (पृष्ठ 657)
    • रचनाकार : Dr. Rashid Amjad
    • प्रकाशन : Pakistan Academy of Letters, Islambad, Pakistan (2009)
    • संस्करण : 2009

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