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सुदर्शन की कहानियाँ
गुल-ए-ख़ारिस्तान
यह एक जोशीले नौजवान की कहानी है, जो बदलाव को केवल शब्दों तक सीमित नहीं करता, बल्कि उसे हक़ीक़त भी कर दिखाता है। दीननाथ आर्य समाज समिति का सदस्य होता है और वह सभा-जलसों में समाज में बदलाव के लिए तक़रीरें करता है। एक रोज़़ जब एक लड़की उस से मदद माँगने आती है, तो वह अपनी जान की बाज़ी लगाकर उसकी हिफ़ाज़त करता है।
मज़दूर
यह समाज के सबसे मज़बूत और बे-सहारा स्तंभ एक मज़दूर की कहानी है, जो दिन-रात ख़ून-पसीना बहाकर काम करता है। लेकिन इससे वह इतना भी नहीं कमा पाता कि अपने बच्चों को भर पेट खाना खिला सके या अपनी बीमार बीवी की दवाई ख़रीद सके। वह फैक्ट्री मालिक से भी विनती करता है, पर वहाँ से भी उसे कोई मदद नहीं मिलती।
एक अमरीकन लेडी की सरगुज़श्त
यह अमेरिकी की एक मशहूर एक्ट्रेस की कहानी है, जिसे एक हिंदुस्तानी से मोहब्बत हो जाती है। जब उस ऐक्ट्रेस को उस हिंदुस्तानी की वास्तविकता के बारे में पता चलता है तो उसकी पूरी ज़िंदगी ही बदल जाती है। वह अपनी सारी दौलत हिन्दुस्तान में शिक्षा के लिए दान कर देती है और यहीं अपनी अंतिम सांस लेती है।
दुल्हन की डायरी
एक ऐसी नई-नवेली दुल्हन की कहानी है, जो ससुराल जाने के बाद शुरू-शुरू में तो हर किसी की बहुत तारीफ़ करती है। मगर जैसे-जैसे वक़्त बीतना शुरू होता है उसे हर किसी में कमियाँ दिखाई देने लगती हैं। हद तो तब हो जाती है जब वह अपने पति और जेठानी पर शक करने लगती है। जब उसे हक़ीक़त का पता चलता है तो अपना सर पीट लेती है।
क़ैदी
आज़ादी के दिवाने एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जिसे सरकार उसकी सुहागरात की सेज से ही गिरफ़्तार कर लाती है। वह जेल में सलाखों के पीछे बैठा होता है और तभी एक दूसरा व्यक्ति आकर उसे बाहर निकालने का प्रस्ताव देता है। मगर वह उसकी शर्तों को नामंज़ूर कर जेल में रहना ही पसंद करता है।
आख़िरी ज़रिया
यह आज़ादी से पहले के एक व्यापारी की कहानी है, जो अंग्रेज़ अफ़सरों को ख़ुश रखने के लिए हर मुम्किन कोशिश करता है। जब एक रोज़ वह घर आता है तो उसकी बीवी सारे विदेशी कपड़े निकाल कर कांग्रेसियों को दे रही होती है। वह उसे ऐसा करने से रोक देता है। उसकी इस कार्रवाई का उसकी बीवी पर ऐसा असर होता है कि वह इस सदमे से मर जाती है।
मोहब्बत का गुनहगार
यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जो वास्तविक प्रेम के बजाय शब्दों के प्रेम में विश्वास करता है। वह अपनी बीवी से बहुत मोहब्बत करता है और उसे प्रायः जताता भी रहता है। उसकी बीवी भी उससे अगाध प्रेम करती है किंतु वह उसे व्यक्त करने से झिझकती है। वह इस झिझक को बीवी की बे-मुरव्वती समझता है और इधर-उधर दिल बहलाने लगता है। बीवी को जब उसकी इन हरकतों का पता चलता है तो उसे इतना दुःख होता है कि वह मर जाती है।
नख़्ल-ए-मोहब्बत
यह एक ऐसे निःसंतान दंपत्ति की कहानी है, जो अकेले ही एक-दूसरे का सुख-दुःख बाँटते हुए ज़िंदगी गुज़ारते हैं। उनके दिल में औलाद के न होने का दुःख हमेशा पलता रहता है। एक रोज़़ एकाएक उनके आँगन में एक बेरी का पेड़ उग आता है और वे दोनों उसको अपने बच्चे की तरह पालते हैं। पेड़ पर जब फल आता है तो वे ख़ुद खाने के बजाय गाँव में बाँटते रहते हैं। एक साल जब वे एक ठाकुर के यहाँ बेर देना भूल जाते हैं तो ग़ुस्से में आकर ठाकुर उस बेरी के पेड़ को काट डालता है।
वज़ीर-ए-अदालत
यह कहानी अशोक महाराज के जीवन की एक घटना है, जब वह रात को भेष बदल कर नगर का हाल जानने के लिए निकले तो उनकी मुलाक़ात एक ग़रीब ब्राह्मण से हो गई। उन्होंने ब्राह्मण से राज्य की व्यवस्था के बारे में पूछा तो उसने ऐसा जवाब दिया कि अगले दिन अशोक महाराज ने उसे अपने राज्य में अदालत का मंत्री बना दिया।
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