- पुस्तक सूची 182694
-
-
पुस्तकें विषयानुसार
-
बाल-साहित्य1916
औषधि859 आंदोलन287 नॉवेल / उपन्यास4237 -
पुस्तकें विषयानुसार
- बैत-बाज़ी11
- अनुक्रमणिका / सूची5
- अशआर64
- दीवान1431
- दोहा65
- महा-काव्य98
- व्याख्या182
- गीत81
- ग़ज़ल1031
- हाइकु12
- हम्द37
- हास्य-व्यंग36
- संकलन1533
- कह-मुकरनी6
- कुल्लियात659
- माहिया19
- काव्य संग्रह4765
- मर्सिया372
- मसनवी810
- मुसद्दस54
- नात521
- नज़्म1170
- अन्य67
- पहेली16
- क़सीदा179
- क़व्वाली19
- क़ित'अ57
- रुबाई288
- मुख़म्मस17
- रेख़्ती12
- शेष-रचनाएं27
- सलाम32
- सेहरा9
- शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा13
- तारीख-गोई28
- अनुवाद73
- वासोख़्त26
मिर्ज़ा अज़ीम बेग़ चुग़ताई की कहानियाँ
वकालत
मंज़ूर है गुज़ारिश-ए-अहवाल-ए-वाक़ई अपना बयान हुस्न-ए-तबीयत नहीं मुझे वकालत भी क्या ही उम्दा... आज़ाद पेशा है। क्यों? सुनिए में बताता हूँ। (1) चार साल का ज़िक्र है कि वो कड़ाके का जाड़ा पड़ रहा था कि सुबह के आठ बज गए थे मगर बिच्छौने से निकलने की हिम्मत
अंगूठी की मुसीबत
(1) मैंने शाहिदा से कहा, "तो मैं जा के अब कुंजियाँ ले आऊँ।" शाहिदा ने कहा, "आख़िर तू क्यों अपनी शादी के लिए इतनी तड़प रही है? अच्छा जा।" मैं हँसती हुई चली गई। कमरे से बाहर निकली। दोपहर का वक़्त था और सन्नाटा छाया हुआ था। अम्माँ जान अपने कमरे में
इक्का
"दस बजे हैं।" लेडी हिम्मत क़दर ने अपनी मोटी सी नाज़ुक कलाई पर नज़र डालते हुए जमाही ली। नवाब हिम्मत क़दर ने अपनी ख़तरनाक मूंछों से दाँत चमका कर कहा। "ग्यारह, साढे़ गया बजे तक तो हम ज़रूर फ़ो... होनच... बिग..." मोटर को एक झटका लगा और तेवरी पर बल डाल कर नवाब
शातिर की बीवी
(1) उम्दा किस्म का सियाह-रंग का चमकदार जूता पहन कर घर से बाहर निकलने का असल लुतफ़ तो जनाब जब है जब मुँह में पान भी हो, तंबाकू के मज़े लेते हुए जूते पर नज़र डालते हुए बेद हिलाते जा रहे हैं। यही सोच कर में जल्दी-जल्दी चलते घर से दौड़ा। जल्दी में पान भी
मिस्री कोर्टशिप
(1) मैंने जो पैरिस से लिखा था वही अब कहता हूँ कि मैं हरगिज़ हरगिज़ इस बात के लिए तैयार नहीं कि बग़ैर देखे-भाले शादी कर लूं, सो अगर आप मेरी शादी करना चाहती हैं तो मुझको अपनी मंसूबा बीवी को ना सिर्फ देख लेने दीजिए बल्कि इस से दो-चार मिनट बातें कर लेने
join rekhta family!
-
बाल-साहित्य1916
-