Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Muneer Niyazi's Photo'

मुनीर नियाज़ी

1928 - 2006 | लाहौर, पाकिस्तान

पाकिस्तान के आग्रणी आधुनिक शायरों में विख्यात/फि़ल्मों के लिए गीत भी लिखे

पाकिस्तान के आग्रणी आधुनिक शायरों में विख्यात/फि़ल्मों के लिए गीत भी लिखे

मुनीर नियाज़ी

ग़ज़ल 95

नज़्म 59

अशआर 114

ये कैसा नश्शा है मैं किस अजब ख़ुमार में हूँ

तू के जा भी चुका है मैं इंतिज़ार में हूँ

किसी को अपने अमल का हिसाब क्या देते

सवाल सारे ग़लत थे जवाब क्या देते

आवाज़ दे के देख लो शायद वो मिल ही जाए

वर्ना ये उम्र भर का सफ़र राएगाँ तो है

जानता हूँ एक ऐसे शख़्स को मैं भी 'मुनीर'

ग़म से पत्थर हो गया लेकिन कभी रोया नहीं

ख़्वाब होते हैं देखने के लिए

उन में जा कर मगर रहा करो

दोहा 1

डूब चला है ज़हर में उस की आँखों का हर रूप

दीवारों पर फैल रही है फीकी फीकी धूप

  • शेयर कीजिए
 

शायरी के अनुवाद 4

 

पुस्तकें 25

चित्र शायरी 9

 

वीडियो 72

This video is playing from YouTube

वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

मुनीर नियाज़ी

मुनीर नियाज़ी

मुनीर नियाज़ी

मुनीर नियाज़ी

मुनीर नियाज़ी

मुनीर नियाज़ी

मुनीर नियाज़ी

मुनीर नियाज़ी

मुनीर नियाज़ी

मुनीर नियाज़ी

मुनीर नियाज़ी

मुनीर नियाज़ी

khwab o khayal-e-gul se kidhar jaye admi

मुनीर नियाज़ी

Munir Niazi - Nazm

मुनीर नियाज़ी

Munir Niazi Song "Aas Paas Koee Gaaon" Tufail Niazi Pakistani movie Dhoop Aur Saayay

मुनीर नियाज़ी

Munir Niazi Song "Jaa Apnee Hasraton per" Noor Jehan Music: Hasan Latif Pakistani movie Susraal

मुनीर नियाज़ी

Reciting his own poetry

मुनीर नियाज़ी

Reciting his own poetry

मुनीर नियाज़ी

TAHIRA SYED - Aaye Sheher Bemisal - A Tribute To Muneer Niazi - Ptv Live

मुनीर नियाज़ी

इम्तिहाँ हम ने दिए इस दार-ए-फ़ानी में बहुत

मुनीर नियाज़ी

उस सम्त मुझ को यार ने जाने नहीं दिया

मुनीर नियाज़ी

एक मैं और इतने लाखों सिलसिलों के सामने

मुनीर नियाज़ी

नई महफ़िल में पहली शनासाई

नई जगह थी दूर दूर तक आख़िर पर दीवारें शब की मुनीर नियाज़ी

नगर में शाम हो गई है काहिश-ए-मआश में

मुनीर नियाज़ी

नील-ए-फ़लक के इस्म में नक़्श-ए-असीर के सबब

मुनीर नियाज़ी

सदा ब-सहरा

चारों सम्त अंधेरा घुप है और घटा घनघोर मुनीर नियाज़ी

साअत-ए-हिज्राँ है अब कैसे जहानों में रहूँ

मुनीर नियाज़ी

हैं रवाँ उस राह पर जिस की कोई मंज़िल न हो

मुनीर नियाज़ी

हैं रवाँ उस राह पर जिस की कोई मंज़िल न हो

मुनीर नियाज़ी

मुनीर नियाज़ी

इतने ख़ामोश भी रहा न करो

मुनीर नियाज़ी

उगा सब्ज़ा दर-ओ-दीवार पर आहिस्ता आहिस्ता

मुनीर नियाज़ी

उगा सब्ज़ा दर-ओ-दीवार पर आहिस्ता आहिस्ता

मुनीर नियाज़ी

ख़याल जिस का था मुझे ख़याल में मिला मुझे

मुनीर नियाज़ी

चमन मैं रंग-ए-बहार उतरा तो मैं ने देखा

मुनीर नियाज़ी

देती नहीं अमाँ जो ज़मीं आसमाँ तो है

मुनीर नियाज़ी

बे-ख़याली में यूँही बस इक इरादा कर लिया

मुनीर नियाज़ी

बे-ख़याली में यूँही बस इक इरादा कर लिया

मुनीर नियाज़ी

मेरी सारी ज़िंदगी को बे-समर उस ने किया

मुनीर नियाज़ी

मेरी सारी ज़िंदगी को बे-समर उस ने किया

मुनीर नियाज़ी

शहर पर्बत बहर-ओ-बर को छोड़ता जाता हूँ मैं

मुनीर नियाज़ी

शाम के मस्कन में वीराँ मय-कदे का दर खुला

मुनीर नियाज़ी

शाम के मस्कन में वीराँ मय-कदे का दर खुला

मुनीर नियाज़ी

सपना आगे जाता कैसे

छोटा सा इक गाँव था जिस में मुनीर नियाज़ी

हैं रवाँ उस राह पर जिस की कोई मंज़िल न हो

मुनीर नियाज़ी

हमेशा देर कर देता हूँ

हमेशा देर कर देता हूँ मैं हर काम करने में मुनीर नियाज़ी

हमेशा देर कर देता हूँ

हमेशा देर कर देता हूँ मैं हर काम करने में मुनीर नियाज़ी

ऑडियो 43

आ गई याद शाम ढलते ही

आइना अब जुदा नहीं करता

इक मसाफ़त पाँव शल करती हुई सी ख़्वाब में

Recitation

संबंधित ब्लॉग

 

"लाहौर" के और शायर

Recitation

Rekhta Gujarati Utsav I Vadodara - 5th Jan 25 I Mumbai - 11th Jan 25 I Bhavnagar - 19th Jan 25

Register for free
बोलिए