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अशरफ़ अली फ़ुग़ाँ

1725/6 - 1772 | दिल्ली, भारत

18 वीं सदी के प्रमुख शायरों में शामिल / मीर तक़ी मीर के समकालीन

18 वीं सदी के प्रमुख शायरों में शामिल / मीर तक़ी मीर के समकालीन

अशरफ़ अली फ़ुग़ाँ

ग़ज़ल 15

अशआर 6

मुझ से जो पूछते हो तो हर हाल शुक्र है

यूँ भी गुज़र गई मिरी वूँ भी गुज़र गई

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जुगनू मियाँ की दुम जो चमकती है रात को

सब देख देख उस को बजाते हैं तालियाँ

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कब दर्द से दिल को ताब आया

आँखों में कहाँ से ख़्वाब आया

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दिल-बस्तगी क़फ़स से यहाँ तक हुई मुझे

गोया कभी चमन में मेरा आशियाँ था

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शैख़ अगर कुफ़्र से इस्लाम जुदा है

पस चाहिए तस्बीह में ज़ुन्नार होता

पुस्तकें 2

 

ऑडियो 11

अक्स भी कब शब-ए-हिज्राँ का तमाशाई है

अगर आशिक़ कोई पैदा न होता

आलम में अगर इश्क़ का बाज़ार न होता

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