क़ाफ़िया शब्दकोश
रेख़्ता पर मौजूद 70,000 ग़ज़लों में से चुने हुए 10,000 से ज़्यादा अल्फाज़ पर आधारित क़ाफिया शब्दकोष का इस्ते'माल करें
क़ाफ़िया शब्दकोश प्रयोग
करना सीखें
क़ाफ़िया शब्दकोश आसानी से तुकांत (क़ाफ़िया) ढूँढना सीखें
अध्ययन शुरू करेंक़ाफ़िया का परिचय
क़ाफ़िया उर्दू ग़ज़ल का अभिन्न अंग है जिससे ग़ज़ल की पद्दक-संरचना निर्धारित होती है। क़ाफ़िए तुकांत शब्दों का समूह होते हैं।
उदाहरण के लिए आन, बान और शान आदि शब्द क़ाफ़िए हैं और इन शब्दों में अंत में ‘आन’ की पुनरावृति इन शब्दों को क़ाफ़िया बनाती है। क़ाफ़िया शब्द अरबी के क़ौफ़ से निकला है, जिसका अर्थ होता है ‘वह, जो अनुसरण करता है’।
उर्दू ग़ज़ल की पद्दक-संरचना नीचे दी गई सारणी से समझी जा सकती है:
अधिकांश ग़ज़लों में मत्ला (पहला शेर) में दोनों पंक्तियों में क़ाफ़िया आता है। इसके बाद के अशआर (शेर का बहुवन) में सिर्फ़ दूसरी पंक्ति में क़ाफ़िया आता है। उपरोक्त ग़ज़ल में पहला शेर मत्ला है और चिन्हित क़ाफ़िए बर, नज़र, भर आदि हैं।
रेख़्ता क़ाफ़िया शब्दकोश एक ऐसा आनलाइन टूल है जिसकी सहायता से आप किसी भी शब्द के क़ाफ़िए ढूँढ सकते हैं। ये टूल नए शायरों के साथ-साथ प्रतिष्ठित शायरों के लिए भी संदर्भ-स्त्रोत का काम कर सकता है।
क़ाफ़िया शब्दकोश का प्रयोग कैसे करें
रेख़्ता क़ाफ़िया शब्दकोश शब्दों को उनके तुकांत अक्षरों के साथ-साथ उनके मात्राभार के आधार पर वर्गीकृत करता है, जो उर्दू काव्य के मूल संरचनात्मक तत्व हैं।
1. क़ाफ़ियों के स्वरूप
ये टूल क़ाफ़ियों को मूलतः तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करता है:
- • निकटतम
- • निकट
- • आज़ाद
2. मात्राभार
परिणामों को रेख़्ता तक़्तीअ की सहायता से उनके मात्राभार के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
क़ाफ़िया चुनने के लिए दिशानिर्देश
क़ाफ़िया निकटतम, निकट और आज़ाद की श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है। ये वर्गीकरण स्पष्ट रूप से परिणाम पेज पर चिन्हित किया जाता है।
किसी ग़ज़ल का क़ाफ़िया मत्ले पर निर्धारित होता है। जिस प्रकार का क़ाफ़िये मत्ले में प्रयोग हुआ है, सामान्यतः उसी प्रकार के क़ाफ़िये पूरी ग़ज़ल में लाए जाते हैं।
निकटतम क़ाफ़िए के उदाहरण
इस मत्ले के क़ाफ़ियों में अंत ‘आनी’ की पुनरावृत्ति है, इसलिए आगे के अशआर में इसी प्रकार के क़ाफ़िए प्रयोग होंगे।
निकट क़ाफ़िए के उदाहरण
इस मत्ले के क़ाफ़ियों में अंत में ‘ओगे’ की पुनरावृत्ति है, इसलिए आगे के अशआर में इसी प्रकार के क़ाफ़िए प्रयोग होंगे।
आज़ाद क़ाफ़िए के उदाहरण
इस मत्ले के क़ाफ़ियों में अंत में ‘ई’ की पुनरावृत्ति है, इसलिए आगे के अशआर में इसी प्रकार के क़ाफ़िए प्रयोग होंगे।
यदि मत्ला पहले नहीं कहा जाता तो शायर का दायित्व है कि वो मत्ला कहते हुए उपरोक्त नियमों का पालन करे।
विशेषताएँ:
उपयोगकर्ताओं की सहूलत के लिए क़ाफ़िया शब्दकोश में निम्नलिखित फ़ीचर्स भी शामिल हैं:
किसी भी शब्द पर क्लिक कर के आप देख सकते हैं:
- शब्द का अर्थ
- शब्द का मात्राभार
- उन अशआर की सूची जिनमें वह शब्द क़ाफ़िए के रूप में प्रयोग हुआ है।
- पूरी ग़ज़ल जिसमें वह शेर किसी एक शेर में क़ाफ़िए के रूप में प्रयोग हुआ हो
- किसी शायर द्वारा उस शब्द के इलावा प्रयोग किए गए क़ाफ़िए